
गुरुवार रात गाजा सिटी के सबरा इलाके में एक ज़ोरदार हवाई हमला हुआ, जिसमें एक बड़ी इमारत जमींदोज़ हो गई। जानकारी के मुताबिक, करीब 40 लोग मलबे में दब गए, जिनमें से केवल 10 को बचाया जा सका है।
इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने इस हमले की पुष्टि की है और कहा है कि यह हमला “हमास के सक्रिय ठिकाने” पर किया गया था, जो “तत्काल खतरा” बन चुके थे।
सीधा हमला या समझौते पर संकट?
अजीब बात यह रही कि यह हमला ऐसे समय हुआ, जब इजरायली कैबिनेट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रस्तावित गाजा शांति योजना पर चर्चा कर रही थी। इस योजना में सीज़फायर और बंधकों की रिहाई की बात कही गई है।
मलबे से निकले धूल से सने बच्चे
गाजा की सिविल डिफेंस एजेंसी ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें आपातकालीन कर्मी मलबे में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। एक क्लिप में एक बचावकर्मी एक छोटे बच्चे को बाहर निकालते हुए दिखाई देता है, जिसका पूरा शरीर धूल और खून से सना हुआ है।
शांति की बात, हमले की रात – ट्रंप का बयान उलझा सवालों में
इससे कुछ ही घंटे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने एक शांति समझौते की घोषणा की थी, जिसमें कहा गया था कि हमास और इजरायल युद्धविराम के पहले चरण पर सहमत हो चुके हैं। ट्रंप ने कहा था कि “जैसे ही इजरायली सरकार समझौते पर हस्ताक्षर करेगी, युद्ध खत्म होगा।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि बंधकों की रिहाई दो दिनों के भीतर संभव है।
अब सवाल यह उठ रहा है — हमले की टाइमिंग ट्रंप की शांति योजना के खिलाफ संकेत तो नहीं?

IDF का पक्ष – “हमास ही है वजह”
इजरायल की सेना ने बयान जारी कर कहा कि गाजा का अल-सबरा इलाका हमास के आतंकियों का सक्रिय ज़ोन था। सेना के अनुसार, यह हमला किसी भी समझौते को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि तत्काल खतरे को समाप्त करने के लिए किया गया था।
कूटनीति और क्रॉसफायर के बीच फंसे मासूम
गाजा का हाल फिर से युद्ध और राजनीति के जाल में उलझा नजर आ रहा है। एक तरफ शांति समझौते की उम्मीदें हैं, तो दूसरी ओर मिसाइलों की गूंज और मलबे में सिसकती ज़िंदगियाँ।
ट्रंप की योजना कितना काम आएगी, और इजरायल-हमास की अगली चाल क्या होगी — ये आने वाले दिन तय करेंगे।
फिलहाल, मलबे से निकलते मासूमों की आंखें दुनिया से सिर्फ एक सवाल पूछ रही हैं — “हमने क्या किया था?”
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